बिन फेरे हम तेरे मीत
बिन फेरे हम तेरे मीत
कौन हूं मैं तेरी ?
सुनो मृगनयनी
तुम्हारा मन हूँ मैं
देखो ना अपने भीतर
तुम्हारा होना,
तुम्हारी चाहत,
तुम्हारे अहसास का अंश हुूँ मैं पूर्वा
तुम्हारी चम्पई सूरत का
चंदनिया सौरभ का दर्शन हूँ
अपनी रौनक जो तुम्हे भाती है
बार बार आइने में देख छुप जाती है
रे बुलबुल
तुम्हारी मुस्कान का आईना हूँ
देख तो सही
मैं तुम्हारा मन हूँ
तुम्हारे हुस्न का नूर हूँ
मैं तुम्हारे प्यार का दस्तूर हूँ
होठों की लाली मैं ही
मैं ही मेहंदी का सुरूर हूँ
गौर से सुनो सुनयना
मैं ही धड़कता दिल की धड़कन मे
गालों की रतनारी खशबू मैं ही
रेशमी जुल्फों की उलझन में
खिलखिलाहट हूँ मैं तुम्हारी
कश्ती हूं दुःख की नदिया की
मन का उल्लास हूं मैं
रंग रागिनी मन बगिया की
सुनो बावरी जोगनिया
छोड़ दुनियावी रीत सभी
धरलो नैनो के भीतर अभी
झुकती पलकों की हया हूं
हृदय तल की दया हूं
सुनो प्रियतमा
तुमसे मैं अर्थ पाता हूं
पर यह कभी कह नहीं पाता हूं
तुम मेरा अभिमान हो
जीवन सम्बल सम्मान हो
मेरी व्याख्या तुम,
मैं तुम्हारा श्लोक हूं
तुम से ही मैं गुलाब
तुम्ही से अशोक हूं
जीवन पहेली का हल हो तुम
मेरी प्रार्थनाओं का प्रतिफल हो तुम
मैं तुमसे तुम मुझमें
बिन फेरे
हम तेरे है रे मीत
इस द्वैत का अद्वैत हैं हम !

