बिखराव
बिखराव
बिखरने का मुझको शौक है बड़ा।
लेकिन समेटने को कोई भी ना आन खड़ा।
मेरे बिखरते ही सब दूर भाग जाते हैं।
मुझे अकेले ही छोड़ जाते हैं।
बिखरते ही मैं बहुत लड़ती हूं
जाने किस को क्या क्या बोलती हूं।
जब तक मैं बोलती हूं कोई दिखता नहीं।
बिखरती अकेली हूं कोई मुझे समेटता नहीं।
मुझे खुद को खुद ही समेटना पड़ता है।
थोड़ी देर बाद माफी मांग कर
सबसे खुद ही बोलना पड़ता है।