बिजुका की किस्मत
बिजुका की किस्मत
एक टाँग पर गड़ा बिजुका
बनता प्रहरी खड़ा बिजुका
कितने आँधी ओले बरसे
कभी ना भूख प्यास को तरसे
अटल अडिग सा गड़ा बिजुका
बनता प्रहरी खड़ा बिजुका
सिर पर कागा बैठा डट कर
कम हो गये पुआल भी घट कर
फिर भी चुप सा गड़ा बिजुका
बनता प्रहरी खड़ा बिजुका
मटकी डाल मुखड़ा जो सोभे
अपनी धुन के स्वप्न में खोवे
धरती में यूँ गड़ा बिजुका
बनता प्रहरी खड़ा बिजुका
सूरज की गर्मी से तपता
जीवन उसका रफ्ता रफ्ता
कंकड़ शूल में गड़ा बिजुका
बनता प्रहरी खड़ा बिजुका
