Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.
Revolutionize India's governance. Click now to secure 'Factory Resets of Governance Rules'—A business plan for a healthy and robust democracy, with a potential to reduce taxes.

Anju Singh

Abstract

4.4  

Anju Singh

Abstract

बिजलियां

बिजलियां

1 min
355


मौसम भी जाने कितने 

खेलता है अठखेलियां

मानो आसमान से गिरा रहा हो

ये कड़कती बिजलियां


बारिश की बूंदें

राहत बरसाती हैं

पर ये चमकती बिजलियां 

कहर ढा जाती हैं


घनघोर अंधेरी रातों में

जब बिजली कड़कती है

क्रोध में आकर शायद

अग्निशिखा सी निकलती है


मेघों संग बरसकर

लाती आसमां में प्रकाश

गिर जाती है अगर किसी पर

कर देती उसका विनाश


चमक गरज के साथ आती

हर किसी को खूब डराती

बिजली बन कर कभी गरजती

बदली बन कर फिर बरसती


बादलों से होती है जब

बिजली की मुलाकात

गरजती है बिजली 

और होती है बरसात


इन कड़कती बिजलियों ने 

जानें लूटा कितना जीवन

कितने ही आशियाने टूटते

घर घर होता क्रंदन


बारिश की बूंदें अंबर से निकलकर

धरती की गोद में समा जाती है

पर यह बिजली चमक कर

गरज कर लौट जाती है


इतने वेग से यूं चमकती

अपनी गर्जन से सहमा देती है

पुनः बरखा के रूप में यह

राहत बरसा जाती है



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract