बीती रात कमल दल फूले।
बीती रात कमल दल फूले।


मैं उठा सुबह,
गया तालाब की ओर,
हैरान हुआ कमल दल देखकर,
खीले थे पिछली रात को,
ऐसा था मनमोहक दृश्य,
मन को किया गदगद,
भूल गया सब दूख,
चेहरे पे आई मुस्कान,
अरे! कैसा सुंदर बना ये बाग।
मालूम होता,
स्वर्ग में आ गया,
अभी मां सरस्वती आएगी,
अपनी मधूर बीणा सुनाएगी,
वातावरण हो जाएगा संगीतमय,
ज्ञान का प्रसार होगा शरीर में।
ऐसी सुबह होती,
किसी किसी के नसीब में,
जब सबकुछ इतना आदर्श,
मालूम होता करूं उसे स्पर्श,
मैं भी आनंद विभोर हो जाऊं,
एक अच्छी छाप लेकर जाऊं।