भूख
भूख
सड़कों फुटपाथ पर रहने
वाले लोगों से पूछो
भूख क्या है ?
भूख वह बदनसीब एहसास है
सर्द रात में भी जलाती है
गर्मी की धूप से भी अधिक
ज्वाला बन तपाती है
थोड़ा झाँककर देखो,
मानव को अपनों से जुदा भी कर देती हैं।
किसी की थाली खाली है
किसी की झोली खाली है
कितने मौज में आधी खाते हैं
आधी कूड़ेदान में फेंक देते हैं
कितनों के नसीब में थाली
आधी की आधी भी नहीं होती है ।
भूख से व्याकुल
बच्चे को देखा एक बार
दर –दर भटक रहा था
इस पार से उस पार
मानवता मर चुकी थी
या वे मानव ही न थे
डाँट उसे दूर हटा देते थे
मुँह पर अन्न की ख्वाहिश लिए
वह दूर से निहारता रहा
इंतजार था सबके जाने का
जैसे ही पार्टी हुई खतम
लोग बड़ी –बड़ी गाड़ियों में
मदमस्त झूमते चले गए
किसी ने उसको निहारा भी नहीं
सबके जाते ही दौड़ा वायु के वेग सा
झपट पड़ा फेंके हुये भोजन पर
आँखें द्रवित थी यह देखकर ।
क्या ऐसी ही भूख है ?
क्या यह सही न्याय है ?