भरा किसने जहर
भरा किसने जहर
भरा किसने ऐसा जहर जानते हैं,
हवा जिसके कारण विषैली हुई है।
है इतना ही काफी मगर जानते हैं,
भले और ना कुछ हुनर जानते हैं।
कहां है तुम्हारी नजर जानते हैं,
ना मुझसे करो तुम इशारों की बातें।
यह होने ना देगी बसर जानते हैं,
अभी तक ये जो गुफ्तगू हो रही है।
मिलेगी सुखद फिर सहर जानते हैं,
कटेगी यह दुख से भारी शाम जब भी।
यह ढाएगी एक दिन कहर जानते हैं,
कलम तेज से चल रही है,जो मेरी।