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Meenakshi Kilawat

Tragedy

4.5  

Meenakshi Kilawat

Tragedy

भर गया नदी किनारा

भर गया नदी किनारा

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365


झूमते नाचते काले बादल पानी

देख कर भय लगता है तुम्हारा

बहुत देख लिया तुम्हारा नजारा

ना अधिक तरसाओ तुम जलकारे

नाराज ना होना तुम हमसे 

अब लौट भी जाओ जल की धारा

भर गया है नदी किनारा.....

भर गए हैं समुंदर भर गए नदिया तालाब

खेतों की फसलें हो रही है खराब

तुम्हारा आना भाता नहीं अब यहां किसी को

बीच-बीच में बरसती रहना तुम

खुशहाली फैलाते रहना तुम

अब लौट भी जाओ जल की धारा

भर गया है नदी किनारा....

नदियों के धारा में कई घर बह गए हैं

कई लोग घायल,बरबाद हो गए हैं

पांव भी नहीं रख सकते घर बाहर में

छोटे-छोटे बच्चों का भविष्य नहीं है

निराधार सी हालत कर दी है तुमने

अब लौट भी जाओ जल की धारा

भर गया है नदी किनारा.....

जब जब जरूरत हो तब आ जाना

हमारे घर आंगन में खेत खलीआनो में

अन्न धनसे भर देना हमारे कोश

रिमझिम बारिश को बरसाना

बलिहारी जाएंगे हम बारबार

अब लौट भी जाओ जल की धारा

भर गया है नदी किनारा.....

ना धरती पर अपना वर्चस्व दिखाओ

ना कभी भेदभाव दिखाओ

सभी तरफ तुम बरस बरस कर

हरी भरी धरती को बनाओ

अब लौट भी जाओ जल की धारा

भर गया है नदी किनारा



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