भीगे चंद्रमा
भीगे चंद्रमा
भीगे चंद्रमा
नभ में भीगे चंद्रमा
और कही दूर सुख के गीतो में भीगे चंद्रमा
पत्तो की सरसराहट में
और कही रातरानी की महक में भीगे चंद्रमा
खिड़की की कांच पर गिरी बूंदों में
और कही चलती राह में भीगे चंद्रमा
किसी लिखी नज़्म में
और इसी बारिश की रूह के अक्स में भीगे चंद्रमा
