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Navneet Gupta

Comedy Tragedy Inspirational

4  

Navneet Gupta

Comedy Tragedy Inspirational

भीड़ में भी भीड़

भीड़ में भी भीड़

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भीड़ 

हर भर जगह

दीखती है भारत के 

इंसानी दुनिया में

शहर हो गाँव हो

बाजार हो अस्पताल हो 

सडक हो नदी हो

बस हो ट्रेन हो जहाज हो ?


छुट्टीयां हो तो सैलानियों का जाम

मौसम बिगड़े को मरीज़ों के सैलाब 

त्योहार हों तो स्टेशनों पर बबेडे 

छट हो तो नदी तालाब पर

दीवाली हो तो हलवाई की दुकान पर॥


आफ सीजन भी हो और सेवानिवृत्त जन निकले तो

अब वहाँ भी भीड

इतने सारे जो हो गये हैं !

तो क्या करें अब कोई

कितना विकास करे

संसाधन जुटाये॥


संख्या, राजनीति और धर्म का खेल है

युद्ध से कम हों ?

कोरोना जैसे मित्र मिले ?

डिसीप्लिन होकर देशभक्ति के साथ जिसे

संसाधनों में सीमित रहकर ?


नहीं ये कुछ कभी

सोच भी नहीं सकते ?

क्या कोई मोदी

मोदी की गारण्टी कह सकता है

देने बात तो दूर की है !


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