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Parul Chaturvedi

Inspirational

3.1  

Parul Chaturvedi

Inspirational

भारत माँ के लाल

भारत माँ के लाल

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यहाँ कदम ज़रा हौले रखना

यहाँ लाल मेरे कुछ सोऐ हैं

दाग़ मेरे आँचल के जिन्होंने  

ख़ून से अपने धोये हैं

 

शोर नहीं करना कि वो

मीठे सपनों में खोऐ हैं

करगिल के दुर्गम रस्तों पर

हिफ़ाज़त के भार जिन्होंने ढोऐ हैं

 

ये पवन उन्हें सहलाती है

बादल भी लोरी गाते हैं

फ़िज़ा को है उस नींद की क़ीमत

वीर जो वीरगति पे पाते हैं

 

अपने ही वृक्ष को काट जिन्होंने

देशभक्ति के बीज यहाँ पर बोये हैं

आज फूल उन्हीं पौधों के मैंने

बालों में अपने सँजोऐ हैं

 

वो मिट्टी अभी भी गीली है

जहाँ पिता वीर के रोऐ हैं

भाई की उस चिट्ठी के अक्षर

अब भी वादियों में खोऐ हैं

 

आकाश ने उनकी कुर्बानी पे

आँसुओं से पर्वत धोऐ हैं

वो चट्टान अभी भी पिघली है

जिसने वीरों के शव ढोऐ हैं

 

उन बंदों के हौसले की गाथा

टोलोलिंग अब भी गाती है

कुछ मुट्ठी भर लोगों के जज़्बे ने

कैसे जीता उसको, बतलाती है

 

भरे गले से शाम भी उनपे

बर्फ़ के फूल चढ़ाती है

सूरज की किरण भी छूके उनको

नतमस्तक हो जाती है

 

नई नवेली दुल्हन को जो

सेज पे छोड़ के आता है

बाहों में उसको भरने से पहले

मौत को गले लगाता है

 

जो झंडा टाइगर हिल पे मेरा

गर्व से यूँ लहराता है

वीरों को लपेटे कफ़न में वो

ख़ुशी-ख़ुशी बिछ जाता है

 

हर बुरी नज़र वाले से कह दो

इस माँ के पास वो बेटे हैं

जो मातृभूमि के लिये हमेशा

सर पे कफ़न लपेटे हैं

 

शहीद हुऐ हैं ये तो क्या

जज़्बे इनके नहीं मरते हैं

बन आई जो वतन पे तो ये

फ़िर से जन्म ले लिया करते हैं

 

यहाँ क़दम ज़रा हौले रखना

यहाँ लाल मेरे कुछ सोऐ हैं....

 

                   ' पारुल '

 

 


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