भारत के वीर
भारत के वीर
भारत के वीरसिंहनाद कर, दहाड़ दे
गोलियाँ दुश्मनों के सीने में उतार दे।
राष्ट्र की सुरक्षा पर कोई आँच
भारत माता के शरीर पर थोड़ी सी भी खरोंच।
देश के आँच पर तुम्हारी अवहेलना
हो इससे पहले दुश्मनों को झेलना।
शत्रु को कर दे परास्त
हो उसका जीवन सूर्यास्त।
भय इतना कि कभी उसका उदय न हो
शत्रुओं का कभी सूर्योदय न हो।
भारत माता वीरों को सलाम करती है
जिन जंजीरों ने उनको बाँधा
वो जंजीरें भी वीरों को प्रणाम करती है।
देश नायक
लोकहित में कर के समर्पण
निखार लिया तुमने जीवन दर्पण
तुम देश की प्रगति के साधक
कर्मशील तुम, दुर्गति के बाधक।
जीवन जीना सिर्फ तुम्हीं का आया
देश सेवा का जो तूने राह अपनाया।
कर्तव्य पथ में रहे जो आरूढ़
वो तुल्य है, सिंहासनारूढ़।
देश की गौरव गाथा का नायक
सदा मन-मंदिर में बिठाने लायक।
सदा रहना देश सेवा के वाचक
देश रहेगा सदा तुम्हारा याचक।
जिन्दगी हो तुम
जीना सफल हो जाएगा
मरना सफल हो जाएगा
सुहाना हर पल हो जाएगा
दिल का दरवाजा मेरे लिए खोल दो न।
यादों में तेरी बरसी अँखियां
तुझ से मिलने को तरसी अँखियां
झील के कमल सी तेरी अँखियां
जुबां न सही, आँखों से ही बोल दो न।
हर उम्मीद पे उतरूंगी खरा
मुश्किलों से कभी वास्ता जो पड़ा
चाहे तूफान हो कितना भी बड़ा
प्यार की कश्ती में मुझे ले लो न।
जिन्दगी पे तुम फक्र करोगे
जहाँ कहीं हमारे प्यार का जिक्र करोगे
खुदा का लाख-लाख शुक्र करोगे
समझो मुझको, मेरे साथ चल दो न।
पिया मिलन
पिया मिलन की अभिलाषा
मेरे जीवन की बनी प्रत्याशा
तुम ले कर चाहे झुठा दिलासा
दरस दिखा दो मेरे प्रियतम।
प्रेम बाण से मन विदीर्ण
तन-मन मेरा जीर्ण-शीर्ण
त्याग कर सारे संकोच संकीर्ण
गले लगा लो मेरे प्रियतम।
मेरी आन-शान-बान तू
मेरे लिए तो सारा जहान तू
प्रेम गीत का लेकर गान तू
आ जाओ मेरे प्रियतम।
प्रेम पथ को अग्रसर
प्रेम पथ कँटीला नुकिला
धार पे भी चलना पड़े
शोलों में भी चाहे जलना पड़े
चाहे प्यार का इम्तहान न रुकेगा
मगर प्यार का तूफ़ान न रुकेगा।
कुछ भी हो हालात के फैसले
कमजोर नहीं जज़्बात के फैसले
दिल ने लिए तेरे ख्यालात के फैसले
चाहे कभी जुल्म का फरमान न रुकेगा
मगर प्यार का तूफ़ान न रुकेगा।
कश्ती न सही, पतवार न सही
लहरों का हम पर अधिकार ही सही
खिजां में बदल जाए ये बहार ही सही
जलने वालों का चाहे आन न रुकेगा
मगर प्यार का तूफ़ान न रुकेगा।
प्रेम नइया का तू खेवइया।
बीच भँवर में प्रेम नइया
प्रेम नइया का तू खेवइया
और तू ही कश्ती, तू ही पतवार
न देना कभी कश्ती से उतार।
तुमसे ही है मेरा हँसना-रोना
तुम से ही है जिन्दगी में बहार
लेकर तुम फैसला एकतरफा
प्रेम कश्ती से न देना उतार।
खुशियों के मेले में दिल अकेला था
उस वक्त भी तेरी यादों का मेला था
जिन्दगी जो दी है तुमने उधार
न देना कभी कश्ती से उतार।
