भारत के वीर सपूत
भारत के वीर सपूत
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उन शहीदों को कैसे भूलें
जो झूला फाँसी का झूले
वो हंसते रहे सर कटते रहे
दुश्मन के छक्के छुड़ाते रहे
न रूके कभी न झुके कभी
मां भारती के लिए मिटते रहे
सीने पर जब खाई गोली
तब मां भारती की जय बोली
आज़ादी उनको प्यारी थी
महिमा उनकी न्यारी थी
वो भारत मां के लाल सदा
तन मन धन न्योछावर करते रहे
न फिक्र थी उनको डंडों की
न फिक्र थी फाँसी के फंदों की
लहू बहता था लावा बनकर
सरफरोशी की बस तमन्ना थी
घर परिवार भी छोड़ा था
बस कफन से नाता जोड़ा था
ले जान हथेली पर निकले
वे मतवाले धुन के पक्के
तब मिल पाई आज़ादी हमें
याद करें न कैसे हम उन्हें
वो शहीद हुए हम मुरीद हुए
हम करते शत-शत नमन उन्हें