बहाने बदल दिए
बहाने बदल दिए


एक नशे का प्याला दे दो,
समझदारी का जिसमें घूँट न हो
मदहोशी में ऐसा सच कह दूँ,
जिसमें कोई झूठ न हो
रुखसती जरा सी मिले जिंदगी से,
ए खुदा एक एहसान अदा कर दे
कुछ पलों के लिए सही,
जिस्म से जान को जुदा कर दे
चाँद तारों की महफ़िल में,
हक की एक जगह दे दे
कहाँ खो गया है वजूद मेरा,
जीने की कोई तो वजह दे दे
मेरी चीख बस मुझ तक पहुँचे,
इतनी दूर पनाह दे दे
मैं खुद से नजर मिला सकूँ,
इन आँखों को ऐसी निगाह दे दे
खुद पे जो भरोसा हैं,
उस पे जरा सा शक है
रफ्तार इस कदर धीमी हैं,
जैसे बे- मंजिल यह सड़क हैं
कैसे ढूँढूँ उन राहों का पता,
जिन्होंने अपने ठिकाने बदल लिए
बेबसी में आज भी रूके हैं कदम,
हमने बस बहाने बदल दिए।