बेटियाँ
बेटियाँ
वक्त ए गर्दिश में
सुकून का एहसास
कराती हैं बेटियाँ।
तकलीफ़ में भी
ख़ुश होने का
एहसास कराती हैं बेटियाँ।
चूम लो बेटियों की
हथेलियों को
"ऐ रत्न";
इसी ज़मी पर
जन्नत का एहसास
कराती हैं बेटियाँ।
वक्त ए गर्दिश में
सुकून का एहसास
कराती हैं बेटियाँ।
तकलीफ़ में भी
ख़ुश होने का
एहसास कराती हैं बेटियाँ।
चूम लो बेटियों की
हथेलियों को
"ऐ रत्न";
इसी ज़मी पर
जन्नत का एहसास
कराती हैं बेटियाँ।