बेटियाँ
बेटियाँ
घर-घर की पहचान होती हैं बेटियां;
मां बाप की शान होती हैं बेटियां।
बिना बेटियों के घर सुनसान होता है;
घर को गुंजायमान करती हैं बेटियां।।
बेटियां किसी भी काम में बेटों से कम नहीं;
हर काम में आपका हाथ बटातीं हैं बटियां।
बेटियों को आगे बढ़ने से मत रोको;
ज़माने में आपका सम्मान बढ़ाती हैं बेटियां।
बेटियों को बोझ ना समझना कभी भी;
आसमान का सितारा होती हैं बेटियां।
बेटी के जन्म से घर में अंधेरा नहीं होता;
हर घर का उजियारा होती हैं बेटियां।।
बुढ़ापे का सहारा सिर्फ बेटे ही नहीं होते;
बेसहारों का भी सहारा होती हैं बेटियां।
इनके हौंसले को आजमा के देख ले;
आसमां को चीरकर सितारों को चूमती हैं बेटियां।।
बेटियों की सीमा रसोई की दहलीज नहीं;
आज फाइटर प्लेन तक उड़ाती हैं बेटियां।
किसी तनाव के वक्त जब नींद नहीं आती;
सिर्फ पर थपकी देकर सुलाती हैं बेटियां।।
सुबह तो हर शख्स की हर रोज़ होती है;
वो सुबह कुछ अलग होती है जब उठाती हैं बेटियां।
आप कितने ख़ास हैं परिवार के लिए;
इसका एहसास आपको कराती हैं बेटियां।।
बेटियों की शादी तो खुशियों की सौगात होती है; लेकिन
विदाई पर पत्थर दिल बाप को भी रुलाती हैं बेटियां।
आंसुओं के बीच भी चेहरे पर मुस्कान होती है;
जब रोते रोते सीने से लग जाती हैं बेटियां।।
ग़र बेटी ना होती तो मां भी ना होती;
और, ग़र मां ना होती तो हम भी ना होते।
बेटे तो सिर्फ एक परिवार के सम्मान में जी रहे हैं;
दो परिवारों के सम्मान को बचाने में ही मर जाती हैं बेटियां।।
वक्त ए गर्दिश में सुकून का एहसास कराती हैं बेटियां;
तकलीफ़ में भी ख़ुश होने का एहसास कराती हैं बेटियां।
चूम लो बेटियों की हथेलियों को "ऐ रत्न";
इसी ज़मी पर जन्नत का एहसास कराती हैं बेटियां।।
- रनदीप शर्मा "रत्न"
