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Randeep Kumar Sharma

Inspirational

4.8  

Randeep Kumar Sharma

Inspirational

बेटियाँ

बेटियाँ

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घर-घर की पहचान होती हैं बेटियां;

मां बाप की शान होती हैं बेटियां।

बिना बेटियों के घर सुनसान होता है;

घर को गुंजायमान करती हैं बेटियां।।


बेटियां किसी भी काम में बेटों से कम नहीं;

हर काम में आपका हाथ बटातीं हैं बटियां।

बेटियों को आगे बढ़ने से मत रोको;

ज़माने में आपका सम्मान बढ़ाती हैं बेटियां।


बेटियों को बोझ ना समझना कभी भी;

आसमान का सितारा होती हैं बेटियां।

बेटी के जन्म से घर में अंधेरा नहीं होता;

हर घर का उजियारा होती हैं बेटियां।।


बुढ़ापे का सहारा सिर्फ बेटे ही नहीं होते;

बेसहारों का भी सहारा होती हैं बेटियां।

इनके हौंसले को आजमा के देख ले;

आसमां को चीरकर सितारों को चूमती हैं बेटियां।।


बेटियों की सीमा रसोई की दहलीज नहीं;

आज फाइटर प्लेन तक उड़ाती हैं बेटियां।

किसी तनाव के वक्त जब नींद नहीं आती;

सिर्फ पर थपकी देकर सुलाती हैं बेटियां।।


सुबह तो हर शख्स की हर रोज़ होती है;

वो सुबह कुछ अलग होती है जब उठाती हैं बेटियां।

आप कितने ख़ास हैं परिवार के लिए;

इसका एहसास आपको कराती हैं बेटियां।।


बेटियों की शादी तो खुशियों की सौगात होती है; लेकिन 

विदाई पर पत्थर दिल बाप को भी रुलाती हैं बेटियां।

आंसुओं के बीच भी चेहरे पर मुस्कान होती है;

जब रोते रोते सीने से लग जाती हैं बेटियां।।


ग़र बेटी ना होती तो मां भी ना होती;

और, ग़र मां ना होती तो हम भी ना होते।

बेटे तो सिर्फ एक परिवार के सम्मान में जी रहे हैं;

दो परिवारों के सम्मान को बचाने में ही मर जाती हैं बेटियां।।


वक्त ए गर्दिश में सुकून का एहसास कराती हैं बेटियां;

तकलीफ़ में भी ख़ुश होने का एहसास कराती हैं बेटियां।

चूम लो बेटियों की हथेलियों को "ऐ रत्न";

इसी ज़मी पर जन्नत का एहसास कराती हैं बेटियां।।

- रनदीप शर्मा "रत्न"


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