बेटियां समाज की ग़लती हैं ?
बेटियां समाज की ग़लती हैं ?
बेटिया जो घर में नाज़ो से पलती हैं
बस यही कमी उन्हें ससुराल में खलती हैं।
जो सहे वो अंदर ही अंदर तो सही,
गर खिलाफत करे तो सारे आम जलती, बिलखती हैं ।
किसे ग़लत कहूँ मैं, हम तुम से बना यह समाज
और पूछो तो सब समाज की गलती हैं।