बेरोजगारी
बेरोजगारी
माँ बाप का सपना बेटा खास बने समय काल कि धारा का प्रेरक प्रेरणा प्रवाह बने।।
जीवन भर मेहनत करते बेटे बेटी कि सर्वोत्तम शिक्षा दीक्षा कि साध्य साधना आराधना ही जीवन अभिमान।।
सत्य समर्थ माँ बाप कि आशाओं अस्तित्व वास्तविकता का प्राण पण प्रयास कोशिश अभियान।।
इस कार्यालय उस दफ्तर यह प्रतियोगिता प्रतिस्पर्धा का भागीदार अभिलाषा विश्वास अान।।
लड़ता जूझता पद सीमित प्रत्याशी अनेक सिपारिस रिश्वत रित रिवाज हताश निराश।।
नौ जवान टूट विखर जाता माँ बाप के अरमानों का दर्पण दिल चकनाचूर हो जाता।।
नौ जवान अंधी गलियों कि राहों पर चल पड़ता कभी अपराधी समाज बुनियाद कुशाग्र नायलायक राष्ट्र द्रोही बन जाता।।
सरकारें आती जाती युवा आशा उम्मीदों अरमानों का विश्वास जगाती लेकिन ढाक के तीन पात।।
युवा पिसता जाता वादों के जंजाल घड़ी प्रहर काल भटक जाता राष्ट्र धारा तोड़ नई धारा का करता निर्माण।।
अलगाव वादी उग्रवादी बेरोजगारी नव संस्कृत संस्कार राजनीति के गलियारों में झंडे ढोता भीड़ हुजूम का हिस्सा किस्सा बनता।।
हर मीटिंग चाहे दल कोई राजनीति का हो मतलब सिर्फ पैसों से राजनीति के बाज़ार का दैनिक मजदूर बन जाता।।
दंगा बलबा पत्थर मारना मजबूरी युवा जीवन संग्राम व्यवसाय कि कोशिश करता।।
पूंजी नही कर्ज कि गारंटी नही फर्ज की चक्की में पिसता जाता बेरोजगारी बीमारी महामारी।।
रोजगार के अवसर नही संसाधन सीमित मांग अनंत आबादी का बोझ सरकारी।
तंत्र परम्परा रिश्वत लूट का तंत्र लोकतंत्र बेरोजगारी असाध्य रोग ना मिलता कोई इलाज ना ही दुरुस्त होती परम्परा सरकारी।।