बेमतलब से हम
बेमतलब से हम
बेमतलब से हैं हम
और जीवन का उत्सव मना रहे हैं
उम्मीद यहीं से जन्मती है
और जीवन सक्रिय हो हो उठता है
अपने अर्थ में।
ये खुद में होता है तो
औरों के लिये हो जाता है।
कहते थे न
तुम हो तो आशा
तुम हो तो हमसे जलती निराशा
और अब तो तुम्हें होना भर है
निराशा के केंद्र में
चलते हुये जीवन के उत्सव में।
उम्मीद थी
और बढ़ रही है
तुम अपना ख़याल रखते हो।
