बेकार की रार
बेकार की रार
व्यर्थ की बातों से
जो रखो सरोकार।
होगा यही फिर,
आ बैल मुझे मार।
मुसीबतों की दुनिया,
यहां कम नहीं।
अपना ही गम,
औरों से कम नहीं।
इस पर अड़ाओ अगर
पर बीच टांग यार,
होगा यही फिर,
आ बैल मुझे मार।
ना रहो बेपरवाह,
दौड़ो जरूर जो
करता कोई पुकार।
ना दो मगर कोई
बिन मांगी सलाह उधार।
व्यर्थ की बातों से,
परे रहो यार,
वरना फिर हो यही,
आ बैल मुझे मार।