STORYMIRROR

Snowwhite (B) ......

Abstract Tragedy Inspirational

4  

Snowwhite (B) ......

Abstract Tragedy Inspirational

बेजुबान जज्बात

बेजुबान जज्बात

1 min
540

बेजुबान थे वो जज्बातें,

बेजुबान थे वो जज्बातें,

जिनके गुरूर के काले साये में

हमने तबाजू देना मुनासिब नहीं समझा था...

जब वक्त की ठोकर पर हमने एहसास का चादर लपेटा, 

तब तकदीर की कहानी कुछ अलग ही पैगाम लायी थी ..

पंछी बनकर उड़ चुके थे वो,

और दूर कहीं आसमान पर उनका आशियाना था..


ढूंढता रहता हूं आज भी उन जज्बातों को ,

कुछ हसरतें हैं आज भी अधूरी..

आस है ये मन में,

के मुक्कमल होगा वो मंजर बेशक

और ये हिकायत भी होगी पूरी...


वक्त के दरिया का हर बूंद बूंद मुझसे पूछे,

क्या पूछे ??

वक्त की दरिया का दरिया का हर बूंद बूंद मुझसे पूछे,

क्या थी तेरी मजबूरी और क्यूं था तू इतना बावरा...

हमें इल्म था, 

हमें इल्म था,

पर वो वक्त का आलम कुछ था ही पहेली जैसा, 

चुन लिया था हमने मदहोशी का अंधेरा...


गिर के संभालना सीखा है..

खुशियां बड़ी हो या छोटी समेटना भी सीखा है..

बेजुबान नहीं हैं अब जज्बातें,

हमने गुफ्तगू करना भी सीख लिया है..


वक्त की पहिया ऐसे ही चलती जाए..

जी लूं फिर उन हसीन लम्हों को,

न जाने कब उसका बुलावा आ जाए..


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract