बेहतर लगता है।
बेहतर लगता है।
मिलने
बात करने से
अब ज्यादा
बेहतर लगता है ,
तेरी
रचनायें पढ़ना ।
वो
दिल से
बात करती हैं।
मुस्कराती हुई,
कभी रूठती हुई,
गुस्साती हुई,
उकसाती हुई
झट से लग जाती हैं
गले से।
और
इत्मीनान से
पढ़ती मैं,
महसूस कर पाती हूँ
उन्हें
बिना तेरी
कोई मर्यादा लांघे।

