बदलाव
बदलाव
पुराना हैंडपंप खड़ा था इक कोने में
सोच रहा था समय की गति कोई
समर्थ नहीं है रोक पाने में
आज सब स्टाइल वाले नलों का जमाना है
मोटर से झट-पट पानी नल में आ जाना है
शहरों में तो मुझे भला पहचानेगा कौन
गांव में फिर मुझसे मिलने आ जाते हैं लोग
यूं उदास सा खुद से बातें कर रहा था हैंडपंप
तभी अचानक कुछ बच्चों की सुनी कुछ हलचल
सबने बस्ते कंधों से उतारे और हाथ लगे चलाने
बारी बारी पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने
आज खुशी से मन मुसकाया
मेरा अस्तित्व अब मिट नहीं पाया।
