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Onika Setia

Tragedy

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Onika Setia

Tragedy

बड़ी दीदी

बड़ी दीदी

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सभी रिश्तों की डोर ,

मजबूती से बांधे रखती थी ।

दीदी सबकी परवाह करती थी ।


घर में कोई भी आए ,

गर्मागर्म समोसे और चाय ,

मंगवा कर परोसती थी ।

दीदी अतिथि सत्कार में निर्पूण थी ।


भोजन के समय यदि कोई ,

घर आ जाए तो वो भूखा न जाता था।

जो भी रूखा सूखा मगर ,

प्यार से खिलाती थी ।

दीदी सब के लिए प्रेम भाव रखती थी ।


कोई गम हो या ,

संकट की घड़ी ।

हर समय साथ खड़ी मिलती थी ।

दीदी बड़ी हमदर्द थी ।


अपनी संतानों पर जान छिड़कती थी ,

मगर भतीजे ,भतीजी और भांजियों पर भी ,

अपनी ममता न्योछावर करती थी ।

दीदी ममता और स्नेह की मूरत थी ।


अपने भाई का दाहिना हाथ थी ,

और भाभी की अंतरंग सहेली ।

कोई जरूरी काम आन पड़े या ,

कहीं सैर पर जाना ।

कदम कदम पर सहयोग / साथ देती थी ।

दीदी सच्ची हमसफर थी ।


घर परिवार की सारी जिम्मेदारियां,

चाहे वो अपने भाई बहन की भी क्यों न हो ।

सबको संपन्न करने में कुशल थी ।

दीदी बड़ी व्यवहारिक और कार्यकुशल महिला थी ।


मगर हाय ! तकदीर का ये कैसा सितम ,

समय की ऐसी मार पड़ी ,दीदी को खो बैठे हम ।

वो घड़ी बड़ी दुखदाई थी ।

दे गई हमें उम्र भर अपनी जुदाई का गम ।

वो दीदी जो हम सबकी जान थी ।



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