बढ़े चलो
बढ़े चलो
ग़र तमन्ना हो महकने की
तो तुमको कौन रोकेगा,
टूट कर भी तो डाली से
फूल ख़ुशबू ही देता है...
ग़र चाहत हो उड़ने की
तो तुमको कौन रोकेगा,
भरोसा हो पंखों पर तो
पंक्षी पिंजरे तोड़ देता है...
किया क़ैद है किसने
तूफ़ान को अब तक,
उमड़ जाये जो समंदर तो
साहिल छोड़ देता है...
रखो एक हौसला दिल में
कि तुमको बढ़ते जाना है,
इरादा हो अगर पक्का तो
राही मंज़िल पा ही जाता है।।