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V. Aaradhyaa

Tragedy

4.5  

V. Aaradhyaa

Tragedy

बड़े बेरौनक से थे हम

बड़े बेरौनक से थे हम

1 min
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मेरी ग़मगीं रुख़ को बख़्शी तूने फ़रह़त ,

ओ ऊपर वाले दोस्त , तेरे क्या कहने !


लाया तू ही पैग़ाम ए मसर्रत का मेरे ,

तेरी रहमत मुझ पे ऐसी, तेरे क्या कहने !


हम जो दर्द दिल से लगा कर बैठ गए,

दर्द में भी है तेरे लज़्ज़त तेरे क्या कहने !


गुलमोहर की शाख़ों जैसे बेरौनक़ थे हम ,

तुझसे बढ़ी हमारी क़ीमत यारा, तेरे क्या कहने !


भटके थे हम राहे ह़क़ से जितनी बार ,

तू ने दिखाई राहे सदाक़त, तेरे क्या कहने !


यूँ लगता है कि, आया तू बन के मसीहा मेरा ,

तू ने हमें दिलाई ग़म से राहत, तेरे क्या कहने !


बिन तेरे सूना सूना था मेरे दिल का हर मंज़र ,

तू ने किया मेरे ख्वाब को हकीकत, तेरे क्या कहने !


लाखों चेहरे देखे हमने कोई न भाया दिल को ,

दिल को भायी तेरी मासूम सूरत, तेरे क्या कहने!



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