बचपन
बचपन
बचपन की ये धारा, अविरल बहने दो,
बच्चे हैं, इन बच्चों को, बच्चा रहने दो!
चुप न करवाइये, इन मासूम लबों को,
बातें हैं पास इनके बेहिसाब, कहने दो!
न तोड़ कर ले जाओ, न सजा के रखो,
महके गर चमन इनसे, तो महकने दो!
चला जाएगा बचपन लौटेगा न फिर ये,
गोशा-ऐ-क़ल्ब में इसकी यादें रहने दो!
