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Himanshu Sharma

Abstract Children

3  

Himanshu Sharma

Abstract Children

बचपन

बचपन

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बचपन की ये धारा, अविरल बहने दो,

बच्चे हैं, इन बच्चों को, बच्चा रहने दो!


चुप न करवाइये, इन मासूम लबों को,

बातें हैं पास इनके बेहिसाब, कहने दो! 


न तोड़ कर ले जाओ, न सजा के रखो,

महके गर चमन इनसे, तो महकने दो!


चला जाएगा बचपन लौटेगा न फिर ये,

गोशा-ऐ-क़ल्ब में इसकी यादें रहने दो!


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