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बचपन

बचपन

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मासूम सी आँखों में सपने हसीन,

नन्हे-नन्हे हाथों में किताबें।

वो माँ के हाथ से खाना,

पिता जी का गुस्सा।


भाई-बहनों से चॉकलेट बाँटना,

और तेरे पास ज्यादा है,

कह के लड़ना।


वो साथ दोस्तों के

रुठना-मनाना,

कागज़ की कश्ती और

छुपम-छुपाई का खेल।


वो सुनहरे दिन

बहुत याद आते हैं,

सपने और हक़ीकत में

फर्क समझ गए।


खो गया बचपन,

क्योंकि अब हम बड़े हो गए।


वो दोस्तों की पुकार,

वो भाई-बहनों का प्यार,

याद आता है,

अब भी वो माँ का दुलार।


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