भरोसा
भरोसा
किस पर करूँ यकीन,
समझ नहीं आता।
मेरे भरोसे की बुनियाद,
तो हर बार टूटी है।
एक वो फूल है,
जो सारा बाग़ महकाता है
और एक वो भंवरा जो
सिर्फ फूल पे मरता है ।
किस पर करूँ यकीन,
समझ नहीं आता।
मेरे भरोसे की बुनियाद,
तो हर बार टूटी है।
एक वो फूल है,
जो सारा बाग़ महकाता है
और एक वो भंवरा जो
सिर्फ फूल पे मरता है ।