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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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बचपन

बचपन

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खुशियों का ख़ज़ाना था

वो बचपन का ज़माना था

न चिंता थी न दुविधा थी

न भाषा धर्म की दीवार थी

सच में बचपन कितना सुहाना था

प्यारे दोस्तों का याराना था


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