बचपन की नादानियाँ
बचपन की नादानियाँ
अज़ीज़ दोस्त बचपन में...बड़ों की नकल करते थे,
छोटी सी उम्र में...सारे नियम तोड़ते थे |
To do list में वो सब आ जाता... जो भी करने की होती मनाही,
जूनियर्स के हीरो बनने के चक्कर में, अक्सर पकड़े गए और हुई पिटाई |
धूमिल होती जा रही हैं पुरानी यादें...कुछ किस्से रह रह कर आते हैं याद,
यकीन नहीं होता की इतने थे हम बेबाक...
होती है घबराहट और उमड़ता है उन्माद |
आज ४५ साल बाद भी मिलते हैं हम...
साथ बैठ सांझा करते हैं खुशियां और गम,
खुलकर हँसते हैं और कहते हैं यही...
काश ठहर जाता ये वक्त वहीं |
