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Vivek Gulati

Abstract Children Stories Others

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Vivek Gulati

Abstract Children Stories Others

बचपन की नादानियाँ

बचपन की नादानियाँ

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अज़ीज़ दोस्त बचपन में...बड़ों की नकल करते थे,

छोटी सी उम्र में...सारे नियम तोड़ते थे |


To do list में वो सब आ जाता... जो भी करने की होती मनाही,

जूनियर्स के हीरो बनने के चक्कर में, अक्सर पकड़े गए और हुई पिटाई |


धूमिल होती जा रही हैं पुरानी यादें...कुछ किस्से रह रह कर आते हैं याद,

यकीन नहीं होता की इतने थे हम बेबाक...

होती है घबराहट और उमड़ता है उन्माद |


आज ४५ साल बाद भी मिलते हैं हम...

साथ बैठ सांझा करते हैं खुशियां और गम,

खुलकर हँसते हैं और कहते हैं यही...

काश ठहर जाता ये वक्त वहीं |


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