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Dr Lalit Upadhyaya

Classics

5.0  

Dr Lalit Upadhyaya

Classics

बचपन की दोस्ती याद कर रहा हूँ

बचपन की दोस्ती याद कर रहा हूँ

1 min
288


किस्सा नया फिर लिख रहा हूँ,

बचपन की दोस्ती याद कर रहा हूँ।


गिल्ली डंडे,कंचे के दौर अब कहाँ,

हर तरफ सोशल मीडिया है यहाँ।


अब नहीं दिखती दूरदर्शन पर रंगोली,

चैनलों की होड़ में खो गई हमारी बोली।


बच्चों को अब यह बता रहा हूँ,

टी वी मोबाइल कम देखना सीखा रहा हूँ।


बदलते दौर में मैं भी बदलता जा रहा हूँ,

मोबाइल से अब मैं भी चिपका जा रहा हूँ।


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