STORYMIRROR

Ajay Gupta

Classics Children

4  

Ajay Gupta

Classics Children

बच्चों क्या क्या सीखूँ तुमसे

बच्चों क्या क्या सीखूँ तुमसे

1 min
327

बच्चों क्या क्या सीखूँ तुमसे,

दिल खोल के हंसना या बस यूँ ही रूठ जाना

या सीखूँ तुमसे पल में मनाना या कही छिप जाना

खेल खेल में जीतू सबसे या हार के आंसू बहाना 


अपने और पराए में क्या मैं अंतर मानू,

खिलौने देने में मगर बड़ा कष्ट मैं जानू

दो पल में भूल जाऊं मैं कोई बात पुरानी 

दिल को तसल्ली देती दादी माँ की बात सुहानी।


पापा को चिपक कर मैं मांगू चाँद और तारे

अम्मा के आंचल से दूर करूँ दुःख सारे

बच्चों क्या क्या सीखूँ तुमसे।


ഈ കണ്ടെൻറ്റിനെ റേറ്റ് ചെയ്യുക
ലോഗിൻ

More hindi poem from Ajay Gupta

लाल

लाल

2 mins വായിക്കുക

31 दिवस

31 दिवस

1 min വായിക്കുക

जादूगर

जादूगर

3 mins വായിക്കുക

भाई बहन

भाई बहन

1 min വായിക്കുക

रंग

रंग

2 mins വായിക്കുക

इंजीनियर

इंजीनियर

2 mins വായിക്കുക

Similar hindi poem from Classics