बच्चों की याद
बच्चों की याद
घर को
सजाते हैं,
पलक पावड़े
बिछाते हैं !
खोयी हुयी
यादों को
दिल में
जागते हैं !
आहट जो
होती है
दौड़ हम
जाते हैं !
पर्दों के पीछे से
राह हम
तकते हैं !
छुपके से आकर
कानों में
कहते हैं !
प्यारा सा
नन्हा सा
अँगुली पकड़
चलते हैं !
इन्हीं सबको
सोचकर
दिन मेरे
निकलते हैं !
आने की आशा
में रोज हम
यहाँ रहते हैं।
