बच्चे
बच्चे
फूल सी नाज़ुक डाली है,
बच्चे तो नादान नासमझ होते हैं,
उनमें संस्कार रूपी बीज बोना होता है,
बीच बीच में खाद रूपी डांट देनी होती है,
तब जाकर संस्कार युक्त पौधा उत्पन होता है।
बच्चों की एक खासियत होती,
वो भूल सारी बात फिर दोस्ती कर लेते हैं,
और हम बड़े उसी बात को लेकर,
न जाने कितना समय बर्बाद कर देते हैं,
और एक दिन उसी ईष्या के लिए साथ,
परलोक को चले जाते हैं।