गुरू की महत्ता.....
गुरू की महत्ता.....
गुरु ......
पहले रुदन ने सिखाया
जीवित दर्शाने को रोना जरूरी है।
पहले चांटे ने समझाया
गलती में सुधार जरूरी है।
पहले धोखे ने बतलाया
इनसान की पहचान होना जरूरी है।
भूख ने मुझको याद दिलाया
रोटी कितनी जरूरी है।
रोटी को पाने की खातिर
धन का होना जरूरी है।
धन कमाने के लिए
कुछ काम का करना जरूरी है।
काम में निपुणता के लिए
ज्ञान का होना जरूरी है।
ये ज्ञान स्वयं ना आयेगा
जीवन में शिक्षक का होना जरूरी है।
इस तरह रुदन, चांटे, धोखे, भूख, रोटी, धन, काम,
और ज्ञान सभी प्रेरक बने....
फिर भी जीवन में
इक मार्गदर्शक का होना जरूरी है।
परिधि में चाहे घूमे अनुभव सारे....
लेकिन भान उनका कराने को
केन्द्र में इक शिक्षक(गुरु) का होना जरूरी है।।