ऋणी हूं मेरे सारे गुरुजनों की
ऋणी हूं मेरे सारे गुरुजनों की
ऋणी हूँ मैं मेरे उन सारे गुरूजनों की,
अपने माता पिता और शिक्षकों की,
जिन्होंने मुझे लिखना पढ़ना सिखाया,
ज़िन्दगी में कुछ बनना सिखाया।
कितने विषयों का मुझे ज्ञान कराया,
प्राचीन सभ्यता का भान कराया,
अपनी संस्कृति से परिचित कराया,
अपने देश की परंपराओं को बताया।
देशप्रेम और भाईचारे का पाठ पढ़ाया,
कर्तव्यनिष्ठा के महत्व को समझाया,
सत्यनिष्ठा का सही मार्ग दिखाया,
सब्र और शाँति को धरना सिखाया।
अपने धर्म को निभाना सिखाया,
जग में ईमान से चलना सिखाया,
देशप्रेमियों से मुझे अवगत कराया,
उनके त्यागों के किस्सों को सुनाया।
कठिन हालातों से लड़ना सिखाया,
कितने ही प्रमाणपत्रों को दिलाया,
मुझे स्टोरी मिरर तक पहुंचाया,
समाज में सम्मान का दर्जा दिलाया।