एतिराफ़ ए जुर्म
एतिराफ़ ए जुर्म
एतिराफ़ ए जुर्म किया , कि मैं गुनाह गार हूं
गुनाह आमुर्ज़ परवरदिगार, मैं सियाह कार हूं
तेरी शान ला शानी, तू परवरदिगार ए आलम
मैं गुनाह गार हूं, सियाह कार हूं, खता कार हूं
मेरे तमाम कार, बेकार ओ लायक ए शर्म है
तू आलम पनाह, पनाह दे मुझे, में बद कार हूं
ज़ेर ए बार ए गुनाह से, क्या अर्ज़ करे 'हसन'
या रसूलुल्लाह हर गुनाहों का ,में क़ुसूरवार हूं.
एतिराफ़ ए जुर्म ( जुर्म कुबूल करना )
गुनाह आमुर्ज़ ( गुनाह मुआफ़ करने वाला )
ज़ेर ए बार ए गुनाह ( गुनाहों के बौझ तले )