STORYMIRROR

Anjali Singh

Abstract Romance

4.0  

Anjali Singh

Abstract Romance

बैरी चाँद

बैरी चाँद

1 min
33


आसमान में चाँद क्यूँ अकेला है

रौशनी भी तो आयी है 

तारों की भीड़ भी है

फिर आसमान में 

चाँद क्यूँ

अकेला


रात अंधेरी है पास 

उसके रौशनी है 

पर बैर निभाए

साथ उसके

चकोर


बैरी चाँद हो गया है पर 

आज भी इंतजार है

चाँद को अपनी

चकोर का


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract