बावरा ये मन हैं
बावरा ये मन हैं
बावरा ये मन हैं होने को तुझ में
क्यूं ना समझें तू ये सावरे
मेरा हर एक लम्हां बांधा हूं तुझ में
क्यूं ना देखे तू पिछे मोड़के
होने लगा थोड़ा सा में थोड़ा सा ,में थोड़ा सा ,तुझ में गुम
कर, ना कर मुझको तू मुझको तू मुझको तू कूबूल
होने लगा थोड़ासा में थोड़ासा में थोड़ासा तुझ में गुम
कर, ना कर मुझको तू मुझको तू मुझको कबूल
चाहत है तू मेरी आदत में तू मेरी
आ इस से तू वफा जोड़ दे
दे दे तू मुझको तुझ पर का हक भी
बदलें में ये जान मांगलें
होने लगा थोड़ा सा में थोड़ा सा में थोड़ा सा तुझ में गुम
कर, ना कर मुझको तू मुझको तू मुझको को कूबूल
होने लगा थोड़ा सा में थोड़ा सा में थोड़ा सा तुझ में गुम
कर, ना कर मुझको तू
मुझको तू मुझको कबूल।
