STORYMIRROR

Husan Ara

Abstract

3  

Husan Ara

Abstract

बारिशें

बारिशें

1 min
358

हल्की सी फुआर

तेरी मेहरबानियों की पड़ी जो है

दिल मेरा कहता है

बारिशें भी ज़रूर होंगी।


मगर देखकर तेरे बादलों का रुख

मेरी जानिब

डर मुझे लगता है, ज़माने से

साज़िशें भी ज़रूर होंगी।


फिर भी उन ठंडी हवा के झोंके

मेरे सब दर्द मिटा देंगे

मगर दिल को भरी बरसात की

ख्वाहिशें भी ज़रूर होंगी।


समेट कर रख लेंगे गर एक बूँद भी

तो काफी होगा, मेरी तसल्ली को

मगर ये दुनिया भी देखेगी

आज़माइशें भी ज़रूर होंगी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract