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Dhaval Sangtani

Tragedy

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Dhaval Sangtani

Tragedy

बारिश: - वरदान या अभिशाप

बारिश: - वरदान या अभिशाप

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साल से रहता है इसके

आने का सबको इंतज़ार,

गर्मी से मिलती है राहत

जब ये आती है बन के खास।


किसान होते हैं खुश जब

यह आती है लेकर

टिप टिप करती हुई बूंदें,


जो चुरा लेती है बच्चों के ठिकाने,

हो जाते हैं वो इतने

खुश की हो जाते हैं

वही उसी में मशगूल,


आती है जब मिट्टी की

सौंधी खुशबू मानो जैसे

सब पे चढ़ गया हो

एक अलग ही नशा,


सूखी हुए नदियों में

आ जाता है पानी,

उस समय बादलों की

गड़गड़ाहट लगती है सुहानी।


लेकिन जब पड़ती है तेज बारिश,

तब बह जाती है सारी ख्वाहिशें

और हर जगह मचा देती है

तो सिर्फ तबाही,


लाचार हो जाते हैं लोग तब,

मानो जैसे की अब हो गया

हो सब कुछ अंत।


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