आसान नहीं है लड़की बनना
आसान नहीं है लड़की बनना


आसान नहीं है लड़की बनना
अपने ही ख़यालों को अपने पास रखना
बचपन से ही माँ बाप को चिंता हो जाती है
जब वो सुनते है उनको लड़की हुई है
आसान नहीं है लड़की बनना
अपनी ही खुशी अपनी बेटी से छीन जाती है
बचपन से ही उसको डरा दिया जाता है
अकेले बहार मत जा कुछ हो जायेगा
आसान नहीं है लड़की बनना
बचपन से लेकर आज तक बड़ा किया जाता है
बड़ी हो कर उसको अपनों से दूर कर दिया जाता है
एक अंजान मुल्क, अंजान लोगो के बीच
भेज दिया जाता है
आसान नहीं है लड़की बनना
जब खुशी आने वाली होती है
तब भी उसे पेट में दर्द होने लगता है और
उसको अपनी ख़ुशियों को दूर किया जाता है
आसान नहीं है लड़की बनना
एक तरफ उसे माता का अवतार दिया जाता है
दूसरी तरफ उसको धरती पर माता पिता का
बोझ माना जाता है
आसान नहीं है लड़की बनना
सवेरे उठते ही उसको काम सौंप दिया जाता है
अगर वो काम में कुछ ग़लती हो जाये
तो उसकी ग़लती के लिए बार बार टोका जाता है
आसान नहीं है लड़की बनना
बहार मत जाना रात में अकेले, ख़तरा है
ये बोल के उसको घर में ही बिठाया जाता है
आखिर वो लड़की है उसको भेदभाव सहने होते है
आसान नहीं है लड़की बनना
अपने ही घर में खेद है
अपने ही क्यों करते है इतना भेदभाव
क्यों कोई उनको नहीं बोलता जिसको
उनसे ख़तरा होता है
आसान नहीं है लड़की बनना
उसके अनेक रूप होते है
कभी बेटी, कभी बहन, कभी माँ,
कभी धर्म पत्नी
वो स्त्री है, उसको एक मौका दो
ये ग़लत साबित करने का की
वो अनेक रूप लेने वाली औरत है
इस दुनिया में बोझ नहीं है