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Neha Saxena

Abstract

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Neha Saxena

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बापू

बापू

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सत्य, अहिंसा, प्रेम की लाठी से, दुनिया जिसने जीती।

अस्त्र - शस्त्र केवल अनुशासन, पहने था आधी धोती।।


पीर पराई जिसने देखी, दुखियों का दुःख दूर किया,

जाति- पांति निंदा को तजकर, तप अनशन व्रत साध लिया,

मन निश्छल, छल कपट बिना, धन - धन बापू तेरी छाती।।


समदृष्टि से तृष्णा त्यागी, पर स्त्री में माँ देखी,

सत्यव्रती, मोह माया त्यागी, मन में न लाया शेखी,

राम नाम का ओढ़ लबादा, पहने था आधी धोती।।


महामारी के बीच कराता, बापू कैसी तैयारी,

दूर कराने राग द्वेष और जाति पाति की बीम

ारी,

सत्य, अहिंसा, प्रेम ,स्वच्छता, की चादर ताने थाती


कथनी करनी में अंतर हो, कोई नहीं उसकी सुनता,

जानती है अंदर बाहर की,समझदार है ये जनता,

मन की बात से ताल मेल हो, तब दुनिया जीती जाती।।


गाँधी होते आज तो करते,प्रकृति संग मानव की बात,

प्रकृति के दोहन के विरोध में, सत्याग्रह से करते घात,

धरती माँ सब कुछ देती हैं,क्यों करते घायल छाती।।


मनाव की चेतना जगाते, जागरुकता फैलाते,

लालच लोभ से पेट भरे न,हम सबको ये समझाते,

है संतोष बड़ा धन जिसमें, दुनिया उसके गुण गाती।


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