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Jiwan Sameer

Abstract

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Jiwan Sameer

Abstract

बांट ले

बांट ले

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कौन है जो शब्द भांप ले

कौन है जो अर्थ माप ले 


देखो न मौन कुछ कहता है 

कौन है जो जुुुबान ढांप ले


कितनी असमानताएं हैं बीच में 

कौन है जो समानताएं नाप ले 


दीवारों में दीवारें दिखती हैैं

कौन है जो दिलों में दिल छाप ले 


डूबी सी उम्मीदें हैं इन आंखों में 

कौन है जो वहम में आस छांट ले 


कोई तो छीनता है मेरा सुकून 

कौन है जो संभावनाएं बांट ले!


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