बालमन
बालमन
बिना वजह खुश हो जाता है
रोकर भी वो हंस जाता है
लेकर वो तो एक खिलोना
पूरी दुनिया से तन्हा हो जाता है
कैसा उसका हर्षित मन है
चेहरा सदा रहता चमन है,
दो पल की दोस्ती,
दो पल की दुश्मनी,
कभी ख़ुदा तो
कभी वो शैतान को भी,
गले लगाता है
ना लोभ पैसे का
ना चाहत किसी चीज़ की
एक दोस्तों के साथ खेलने में
वो तो पूरी दुनिया भूल जाता है
जिसका साफ मन है,
वही इसका दोस्त मदन है,
निर्मल मति के पास,
ये जिंदगी का गीत गाता है,
नाम भले ही मेरा बच्चा है
मगर दिल मेरा सच्चा है
मेरे बेदाग से मन में,
वो ख़ुदा भी बार बार,
घर बनाता है।