बालज्ञान
बालज्ञान
सबसे तन्दरुस्त विज्ञान
मनोहारी सबसे बड़ा ज्ञान
जिद्दी, हठी और निश्छल
झलकता जिसमें अपना
सिर्फ प्यार !
मेरा तो मेरा है
तेरा कैसे होगा
हम तो खेलेंगे आफ़त से
भी लड़कर
क्यूँ जलता है देखकर
हमें यह संसार !
अबोध बचपना मेरा
निर्मल स्वभाव !
ईश्वर के प्रतिरूप हम
दिल में रखते समभाव !
यह बाल रूप मेरा जानो
मेरा विज्ञान
तू क्या चीज है रे मुसीबत
जब ख़ुदा की नजरों में
हम हैं महान !