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Madhu Gupta

Abstract Classics Inspirational

4  

Madhu Gupta

Abstract Classics Inspirational

बालिका वधु

बालिका वधु

1 min
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फूट फूट कर रो रही थी बेटी  

लगकर माँ के आंचल से, 

माँ क्यों किया विवाह मेरा बोलो ?

 इस नाजुक सी आयु में, 

अभी तो उम्र है माँ मेरी 

गुड्डागुड़ियों का ब्याह रचाने की, 

फिर क्यों मुझको बांध दिया ?


इन अनजाने से बंधन में, 

कैसे छोड़ कर जाऊं अभी मैं ?

उम्र अभी हैं माँ मेरी  

तेरे आंचल से लिपट कर सोने की 

फ़िर क्यों तूने बाँध दिया माँ ?


इस पावन - पवित्र से धागों में

मैं तो छोटी गुड़िया हूं माँ  

कैसे यह सातों वचन निभाऊँगी ? 

अभी अभी जो हुए हैं पूरे, 

 तेरे इस बड़े सेआंगन में !


अभी तो उम्र है माँ मेरी 

खेल कूद और पढ़ाई की, 

फिर दूजे घर जाकर माँ 

कैसे ब्याह की सारी रस्में निभाऊंगी ? 

यह कैसा चलन है इस दुनिया का ? 


मुझको तू इतना समझा दे माँ !

छोटी बालिका को बनाकर बधू  

 क्यों बैठा दिया है सबने डोली में ?

कुछ तो बोलो मेरी, प्यारी सी माँ  

क्या उम्र मेरी है अभी सासरे जाने की ?

फूट-फूटकर रो रही थी बेटी, 

लगकर मां के आंचल से !


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