बाल कविता मेरे बाबा
बाल कविता मेरे बाबा
मेरे बाबा, अच्छे बाबा
मेरे अपने, सच्चे बाबा
कभी खिलाते गोदी बाबा
कभी चढ़ाते कंधे बाबा
घोड़ा बनकर पीठ बैठाते
हंसते और हंसाते बाबा
मेरे बाबा ! हाँ! मेरे बाबा!
रोज सुनाते मुझे कहानी
जिसमें होते राजा-रानी
पंखों वाली परी सुनहरी
चंदा में दिखलाते बाबा
मेरे बाबा ! हाँ ! मेरे बाबा!
उंगली पकड़ें मेरे बाबा
सड़क पार करवाते बाबा
दाएं-बाएं देख के चलना
मुझे सदा बतलाते बाबा
मेरे बाबा! हाँ ! मेरे बाबा!
सुबह शाम पार्क ले जाते
फूलों पर तितली दिखलाते
चंपा,गेंदा, आम, निबोरी
पीपल, नीम बताते बाबा
मेरे बाबा! हाँ ! मेरे बाबा!
तोता,चिड़िया, मोर दिखाते
बंदर, भालू, गाय दिखाते
उगता सूरज, चांद सितारे
नदी, नाव दिखलाते बाबा
मेरे बाबा ! हाँ ! मेरे बाबा!
खेतों में दिखलाने सरसों
बैठ गाड़ी में गए थे परसों
देखी मैंने गेहूँ बालियां
चना-मटर दिखलाते बाबा
मेरे बाबा ! हाँ ! मेरे बाबा !