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Roli gupta

Drama

3  

Roli gupta

Drama

बाजार-ए-दिल !

बाजार-ए-दिल !

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मुझे कतई ये अंदाज़ा ना था, 

की जब तुम जीना जीना मेरे; 

 

इस दिल में उतरोगे तब उस के सारे, 

बसंत को पतझड़ में बदल दोगे;


मुझे कतई ये भी अंदाज़ा ना था, 

की जब तुम आओगे तो साथ अपने;


जन्नत और जहन्नुम दोनों लाओगे,

ख़ुशी के आँसू और गम के झरने दोनों; 

 

दोनों एक साथ ही फूटेंगे और मेरे,  

फैलाये दामन में तसव्वुर से कहीं आगे,

का सुख और दुःख दोनों अता होगा; 


जरा सोचो तुम बाजार-ए-दिल में इस, 

से बुरा होता भी तो क्या होता !


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